પોતાના અધૂરા સપનાઓ પોતાના સંતાનો પર થોપી બેસાડતા માતા-પિતા માટે એક કવિતા...
ક્ષિતિજ ની પેલે પાર જો જોઈ શકતી તમારી આંખો તો તમે જાણી લેતા મારા વિચારો
મારા અવાજના પડઘમ જો તમારા કાને અથડાતા તો તમે જાણી લેતા મારા વિચારો
જીદનો જો તમારો પડતો જો હટતો તો બારીની બહાર ની મોસમ તમે શ્વાસમાં ભરી હોતે
ચહેરા પરથી દંભનું જો મોહરું હટાવાતા તો તમે જાણી લેતા મારા વિચારો...
સ્ત્રોત : Udaan Movie હિન્દી કવિતાનો મારા દ્વારા ગુજરાતીમાં ભાવાનુવાદનો પ્રયાસ
Saturday, August 28, 2010
Udaan hindi movie poem
"जो लहरों से आगे नज़र देख पाती तोह तुम जान लेते मैं क्या सोचता हूँ ,
वो आवाज़ तुमको भी जो भेद जाती तोह तुम जान लेते मैं क्या सोचता हूँ .
जिद का तुम्हारे जो पर्दा सरकता तोह खिडकियों से आगे भी तुम देख पाते,
आँखों से आदतों की जो पलकें हटाते तोह तुम जान लेते मैं क्या सोचता हूँ.
मेरी तरह खुद पर होता ज़रा भरोसा तोह कुछ दूर तुम भी साथ-साथ आते,
रंग मेरी आँखों का बाँट ते ज़रा सा तोह कुछ दूर तुम भी साथ-साथ आते,
नशा आसमान का जो चूमता तुम्हे भी, हसरतें तुम्हारी नया जनम पातीं,
खुद दुसरे जनम में मेरी उड़ान छूने कुछ दूर तुम भी साथ-साथ आते."
वो आवाज़ तुमको भी जो भेद जाती तोह तुम जान लेते मैं क्या सोचता हूँ .
जिद का तुम्हारे जो पर्दा सरकता तोह खिडकियों से आगे भी तुम देख पाते,
आँखों से आदतों की जो पलकें हटाते तोह तुम जान लेते मैं क्या सोचता हूँ.
मेरी तरह खुद पर होता ज़रा भरोसा तोह कुछ दूर तुम भी साथ-साथ आते,
रंग मेरी आँखों का बाँट ते ज़रा सा तोह कुछ दूर तुम भी साथ-साथ आते,
नशा आसमान का जो चूमता तुम्हे भी, हसरतें तुम्हारी नया जनम पातीं,
खुद दुसरे जनम में मेरी उड़ान छूने कुछ दूर तुम भी साथ-साथ आते."
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